कैलिफोर्निया और लॉस एंजिल्स के जंगलों में फैली आग ने तबाही मचा रखी है। अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। लेकिन इस आपदा के बीच, जेल में बंद कैदियों को सजा घटाने और आर्थिक लाभ का एक अनोखा मौका दिया गया है। राहत कार्यों में मदद करने वाले कैदियों को इस योजना के तहत सजा में छूट और आकर्षक वेतन दिया जा रहा है।
भीषण आग और तबाही का हाल
जंगलों में लगी यह आग इतनी विकराल हो चुकी है कि इसे काबू में लाना फायर डिपार्टमेंट और सरकार के लिए मुश्किल साबित हो रहा है। बर्फीले तूफान और तेज हवाओं ने आग को और खतरनाक बना दिया है। हालात इतने खराब हैं कि आग को नियंत्रित करने के लिए जेल में बंद कैदियों की सेवाएं ली जा रही हैं।
कैदियों के लिए योजना का अनोखा पहलू
कैलिफोर्निया की सरकार और सुधार विभाग ने कैदियों को राहत कार्यों में शामिल करने के लिए एक खास योजना बनाई है। इसके तहत:
1. हर दिन के काम पर सजा में दो दिनों की छूट दी जा रही है।
2. कैदियों को काम के लिए प्रति दिन $5.80 से $10.24 तक की सैलरी दी जा रही है।
3. इमरजेंसी में काम करने वाले कैदियों को प्रति घंटे $1 का अतिरिक्त बोनस भी मिलता है।
सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस समय 931 कैदी जंगल की आग बुझाने के काम में लगे हुए हैं।
ये कैदी कंटेनमेंट लाइन बना रहे हैं, जिससे आग का फैलाव रोका जा सके।
संरचनाओं के पास से ईंधन और ज्वलनशील पदार्थ हटाकर आग की तीव्रता कम करने में मदद कर रहे हैं।
फायर डिपार्टमेंट के साथ मिलकर राहत कार्य में अपना योगदान दे रहे हैं।
कैदियों की सजा में छूट
सीधे आग बुझाने वाले कैदी: इन्हें हर दिन के काम के बदले 2 दिनों की सजा माफी दी जा रही है।
सहायक कर्मचारी: जिनका काम राहत कार्यों में सहयोग देना है, उन्हें 1 दिन के बदले 1 दिन की सजा माफी मिल रही है।
कमाई के साथ नया मौका
सजा में छूट के साथ-साथ कैदियों को वित्तीय सहायता भी दी जा रही है। यह योजना उन्हें न केवल जेल से जल्दी बाहर निकलने का मौका देती है, बल्कि समाज में अपनी नई पहचान बनाने का भी अवसर प्रदान करती है।
सरकारी बयान और प्रयास
कैलिफोर्निया सुधार और पुनर्वास विभाग के सचिव जेफ मैकोम्बर ने कहा:
> “जंगल की आग कैलिफोर्निया के लिए एक बड़ी चुनौती है। फायर डिपार्टमेंट इसे बुझाने के लिए पूरी तरह समर्पित है, और कैदियों की सेवाएं इस प्रयास को और मजबूत बना रही हैं।”
इस योजना की सराहना के साथ-साथ आलोचना भी हो रही है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि कैदियों को खतरनाक परिस्थितियों में काम पर लगाकर उनका शोषण किया जा रहा है। साथ ही, उनकी सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।