बॉलीवुड की सुपरस्टार ममता कुलकर्णी बनीं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर, जानें उनके सन्यास और आध्यात्मिक सफर की कहानी

बॉलीवुड की दुनिया में अपनी अदाकारी और खूबसूरती से फैंस के दिलों पर राज करने वाली ममता कुलकर्णी ने अब आध्यात्मिक जीवन को अपनाकर सबको हैरान कर दिया है। महाकुंभ 2025 में उन्होंने किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि ग्रहण की। इस मौके पर उनका पट्टाभिषेक भव्य तरीके से संपन्न हुआ।

 

ममता कुलकर्णी बनीं यामाई ममता नंद गिरि

 

पट्टाभिषेक के दौरान ममता कुलकर्णी ने संगम में पिंडदान कर अपने सांसारिक जीवन का अंत किया और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत की। अब उन्हें ‘यामाई ममता नंद गिरि’ के नाम से जाना जाएगा। इस अवसर पर वे भावुक नजर आईं और उन्होंने कहा, “23 सालों से मैं फिल्मी दुनिया से दूर थी और इस दौरान मैंने अध्यात्म को गहराई से महसूस किया। यही वजह है कि मैंने सनातन धर्म के मार्ग पर चलने का निश्चय किया।”

 

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने की कहानी

 

किन्नर अखाड़ा, जिसे 2015 में स्थापित किया गया था, ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी देकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया। वैदिक मंत्रोच्चारण और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ उनका अभिषेक किया गया। इस दौरान उन्हें दूध से स्नान कराया गया और हल्दी-सिंदूर से तिलक किया गया।

 

फिल्मों से दूर, धर्म की राह पर

 

ममता कुलकर्णी ने इस मौके पर साफ कर दिया कि अब वे फिल्मों में वापसी नहीं करेंगी। उन्होंने कहा, “फिल्मों को छोड़ने का कारण किसी परेशानी से नहीं था। यह मेरा स्वयं का निर्णय था। अब मैं धर्म और सेवा के मार्ग पर ही आगे बढ़ूंगी।”

 

महामंडलेश्वर बनने के बाद पहली झलक

 

पट्टाभिषेक के बाद ममता की तस्वीरें सामने आईं, जिनमें वे साध्वी के रूप में दिखीं। सफेद वस्त्र, माथे पर तिलक और चेहरे पर एक दिव्य तेज के साथ ममता बिल्कुल अलग अवतार में नजर आईं।

 

ममता कुलकर्णी का आध्यात्मिक सफर

 

ममता का कहना है कि अध्यात्म की ओर उनका झुकाव एक आत्मिक अनुभव के बाद शुरू हुआ। 90 के दशक में बॉलीवुड में टॉप पर रहने वाली ममता ने ग्लैमर से भरपूर जीवन को त्यागकर धार्मिक यात्राओं को प्राथमिकता दी। अब वे सनातन धर्म के प्रचार और समाजसेवा में अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय ले चुकी हैं।

 

महाकुंभ 2025 में रचा इतिहास

 

महाकुंभ के इस ऐतिहासिक पल में ममता कुलकर्णी का पिंडदान और पट्टाभिषेक न केवल आध्यात्मिक दुनिया में बल्कि आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। उनका यह निर्णय यह संदेश देता है कि जीवन में कभी भी बदलाव का निर्णय लिया जा सकता है, चाहे वह कितना ही बड़ा क्यों न हो।

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