चौरी चौरा कांड: जब ब्रिटिश पुलिस को भागने का भी मौका नहीं मिला!
नई दिल्ली: 4 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा नामक स्थान पर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा। महात्मा गांधी के नेतृत्व में चल रहे असहयोग आंदोलन में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरे थे, लेकिन मामला इतना बढ़ गया कि भीड़ ने पुलिस थाने को ही आग के हवाले कर दिया। इस घटना में 22 ब्रिटिश पुलिसकर्मियों की जलकर मौत हो गई।
कैसे भड़की थी आग?
यह सब तब शुरू हुआ जब असहयोग आंदोलन के तहत सत्याग्रही बाजार में विदेशी सामानों का बहिष्कार कर रहे थे। ब्रिटिश पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया, जिससे आंदोलनकारियों का गुस्सा भड़क उठा। हजारों लोगों ने मिलकर थाने को घेर लिया और उसे आग के हवाले कर दिया। थाने में फंसे 22 पुलिसकर्मी जिंदा जल गए!
गांधीजी ने क्यों लिया आंदोलन वापसी का फैसला?
इस हिंसा से महात्मा गांधी बेहद दुखी और नाराज हुए। वे अहिंसा के समर्थक थे और उन्होंने तुरंत असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला कर लिया। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
सरकार का नया अपडेट: चौरी चौरा शहीदों को मिलेगा विशेष सम्मान!
आज, 4 फरवरी 2025 को इस घटना के 103 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर सरकार ने चौरी चौरा स्मारक स्थल पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया है, जहां शहीदों को सम्मानित किया जाएगा।
चौरी चौरा कांड की सीख
यह घटना भारतीय इतिहास में एक अहम मोड़ थी। इसने यह संदेश दिया कि आजादी की लड़ाई अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही सफल हो सकती है।
आपको क्या लगता है, गांधीजी को असहयोग आंदोलन वापस लेना चाहिए था या नहीं? कमेंट में अपनी राय दें!