महाकुंभ 2025 का मेला, जहां करोड़ों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, एक अनोखे साधु ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह साधु कोई साधारण संत नहीं, बल्कि ‘आईआईटी बाबा‘ के नाम से प्रसिद्ध अभय सिंह हैं। हरियाणा के इस युवा ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की, लेकिन विज्ञान की राह छोड़कर अध्यात्म को अपना जीवन बना लिया।
अभय सिंह की शिक्षा और शुरुआती करियर
अभय सिंह ने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान उन्होंने डिजाइन में मास्टर्स किया और फोटोग्राफी में गहरी रुचि ली। वे फिजिक्स के एक शानदार शिक्षक भी रह चुके हैं, जहां उन्होंने अपने छात्रों को विज्ञान की जटिलताओं को सरलता से समझाया।
आध्यात्मिकता की ओर कदम
आईआईटी में पढ़ाई के दौरान ही अभय सिंह ने जीवन के गहरे सवालों पर सोच-विचार करना शुरू किया। दर्शनशास्त्र, विशेषकर सुकरात और प्लेटो के विचारों ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। वे जीवन के असली अर्थ को समझने के लिए भौतिक सुखों को त्यागते चले गए। उनके अनुसार, अध्यात्म ही वह रास्ता है जो सच्ची संतुष्टि और शांति की ओर ले जाता है।
महाकुंभ 2025 में उनकी उपस्थिति
महाकुंभ में अभय सिंह की उपस्थिति ने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। उनकी सादगी, गहरी सोच और जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण लाखों श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहा है। मीडिया से लेकर साधारण जनता तक, हर कोई उनकी अनोखी कहानी सुनने के लिए उत्सुक है।
अभय सिंह का संदेश
अभय सिंह का मानना है कि जीवन की सच्ची खुशी और शांति बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और आंतरिक संतुलन में है। उन्होंने अपने अनुभव से यह सीखा कि भौतिक उपलब्धियों के पीछे भागने से अधिक महत्वपूर्ण है अपने भीतर झांकना और खुद को समझना।
अभय सिंह की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन के असली मायने तलाशने के लिए उम्र, शिक्षा या करियर की सीमा नहीं होती। आईआईटी से लेकर महाकुंभ तक की उनकी यात्रा हमें यह प्रेरणा देती है कि सच्ची संतुष्टि बाहरी दुनिया में नहीं, बल्कि हमारे अंदर छिपी होती है।