ममता कुलकर्णी: बॉलीवुड से सन्यास तक का सफर, महाकुंभ में बनीं किन्नर अखाड़े की साध्वी

बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा ममता कुलकर्णी, जो अपने समय की सबसे खूबसूरत और हिट अभिनेत्रियों में गिनी जाती थीं, ने अब एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने सभी का ध्यान खींच लिया है। 90 के दशक में अपने ग्लैमरस लुक और शानदार एक्टिंग से लाखों दिलों पर राज करने वाली ममता कुलकर्णी ने अब आध्यात्मिक जीवन की ओर रुख कर लिया है।

 

फिल्मी सफर की शुरुआत और हिट फिल्में

 

1992 में ममता कुलकर्णी ने फिल्म ‘तिरंगा’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया। हालांकि, उन्हें असली पहचान मिली 1993 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘आशिक आवारा’ से, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर का न्यू फेस ऑफ द ईयर अवॉर्ड भी मिला। इसके बाद उन्होंने ‘करण अर्जुन’, ‘सबसे बड़ा खिलाड़ी’, ‘बाजी’ और ‘चाइना गेट’ जैसी हिट फिल्मों में काम किया। उनकी खूबसूरती और अभिनय ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया।

 

बॉलीवुड से दूरी और विवाद

 

1990 के दशक के अंत में ममता कुलकर्णी ने फिल्मों से दूरी बनानी शुरू कर दी। 2000 के दशक में उनका नाम विवादों से जुड़ा, जब उन्हें ड्रग्स रैकेट और अन्य मामलों में घसीटा गया। इन विवादों के चलते उन्होंने भारत छोड़ दिया और सालों तक गुमनामी में रहीं।

 

भारत वापसी और आध्यात्मिक जीवन का चयन

 

25 साल के लंबे अंतराल के बाद ममता कुलकर्णी दिसंबर 2024 में भारत लौटीं। उन्होंने मीडिया से बातचीत में साफ कर दिया कि वह फिल्मों में वापसी नहीं करेंगी। इसके बजाय उन्होंने अध्यात्म और सन्यास का रास्ता चुना है।

 

महाकुंभ में बनीं साध्वी

 

ममता कुलकर्णी ने हाल ही में प्रयागराज के महाकुंभ में भाग लिया और संगम पर पिंडदान कर अपने नए जीवन की शुरुआत की। उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर जय अम्बानंद गिरी से मुलाकात की। ममता ने निर्णय लिया है कि वह किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनेंगी और संन्यासी जीवन जिएंगी।

 

महामंडलेश्वर बनने का महत्व और प्रक्रिया

 

महामंडलेश्वर का पद बेहद प्रतिष्ठित और जिम्मेदारी भरा होता है। इस पद पर आने के लिए व्यक्ति को कठिन तपस्या और संत की दीक्षा लेनी होती है। यह पद केवल उन्हीं को मिलता है जो धर्म, शास्त्र और समाजसेवा के क्षेत्र में योगदान देते हैं।

 

आध्यात्मिक जीवन की नई शुरुआत

 

52 साल की ममता कुलकर्णी ने अब पूरी तरह से सांसारिक जीवन से मुंह मोड़ लिया है। वह कहती हैं कि उनका लक्ष्य अब समाजसेवा और धर्म के प्रचार-प्रसार में योगदान देना है।

 

नए जीवन की प्रेरणा

ममता का कहना है कि उन्होंने अपने पिछले जीवन के अनुभवों से सीखा कि भौतिक सुख-सुविधाएं स्थायी नहीं होतीं। अध्यात्म और धर्म के रास्ते पर चलकर ही जीवन का असली अर्थ समझा जा सकता है।

 

ममता कुलकर्णी का बॉलीवुड से लेकर आध्यात्म तक का सफर कई लोगों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने दिखाया कि नई राह चुनने और खुद को बेहतर बनाने का निर्णय कभी भी लिया जा सकता है।

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