प्रयागराज: तीर्थराज का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व

प्रयागराज: पवित्रता और संस्कृति का संगम

प्रयागराज, जिसे प्राचीन समय में ‘तीर्थराज’ के नाम से जाना जाता था, भारत के सबसे पवित्र और ऐतिहासिक शहरों में से एक है। यह वह स्थान है जहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियां मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती हैं। यहां हर छः वर्षों में अर्धकुंभ और हर बारह वर्षों में महाकुंभ का आयोजन होता है, जो करोड़ों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

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A huge crowd of Hindu pilgrims cross bridges constructed to help them bathe in the Ganges River during the Kumbh Melba festival in Haridwar, India. Pilgrimages for Kumbh Melba occur four times during its twelve year cycle, where millions converge to bathe in the holy Ganges River, making it the largest religious gathering in the world.

 

प्रयागराज का भौगोलिक परिचय

यह शहर उत्तर भारत के दक्षिणी हिस्से में स्थित है, जिसकी भौगोलिक स्थिति 25.45° उत्तरी अक्षांश और 81.84° पूर्वी देशांतर पर है। इसके उत्तर और उत्तर-पूर्व में अवध क्षेत्र, पश्चिम में कौशांबी और दक्षिण में बघेलखंड स्थित है। प्रयागराज का कुल क्षेत्रफल 5,482 वर्ग किमी है और इसे 8 तहसीलों और 20 विकास खंडों में विभाजित किया गया है।

 

कुंभ मेले का इतिहास: कैसे शुरू हुआ यह दिव्य आयोजन?

पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवता और दानव समुद्र मंथन कर रहे थे, तब अमृत का कलश (कुंभ) प्रकट हुआ। इसे लेकर देवताओं और दैत्यों के बीच बारह दिनों तक युद्ध हुआ। देवताओं के एक दिन को मनुष्यों के एक वर्ष के बराबर माना जाता है। इस दौरान जिन चार स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं, वे हैं:

1.प्रयागराज

2.हरिद्वार

3.उज्जैन

4.नासिक

 

इन चारों स्थानों पर समय-समय पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। प्रयागराज का कुंभ मेला सबसे भव्य माना जाता है, क्योंकि यहां त्रिवेणी संगम पर स्नान का विशेष महत्व है।

 

 

क्यों है कुंभ मेला विशेष?

कुंभ मेला न केवल आध्यात्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, एकता और विविधता का प्रतीक भी है। यहां साधु-संतों की अनोखी झांकियां, धार्मिक प्रवचन, योग शिविर और पारंपरिक कला का प्रदर्शन होता है। इसे यूनेस्को ने Intangible Cultural Heritage की सूची में शामिल किया है।

 

प्रयागराज का सांस्कृतिक महत्व

यहां हर वर्ष माघ मेले का आयोजन भी होता है, जिसमें लाखों लोग त्रिवेणी संगम पर आकर स्नान करते हैं। इसके अलावा, अक्षयवट और हनुमान मंदिर जैसे पवित्र स्थल इस शहर की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं।

 

 

प्रयागराज केवल एक शहर नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास का जिवंत प्रमाण है। यहां का कुंभ मेला विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है, जो न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए भी विशेष आकर्षण है।

 

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