Vice President Election Result 2025
भारत के नए उपराष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। Vice President Election Result के मुताबिक, एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने विपक्ष के बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर चुनाव जीत लिया।
राधाकृष्णन को मिले: 452 वोट
बी. सुदर्शन रेड्डी को मिले: 300 वोट
राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल पीसी मोदी ने नतीजों की घोषणा की। भाजपा ने दावा किया कि इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग भी हुई है।
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उपराष्ट्रपति का पद क्यों अहम है?
उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। वे राज्यसभा के सभापति होते हैं और उच्च सदन की कार्यवाही को संचालित करते हैं। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या पद रिक्त होने की स्थिति में वे कार्यवाहक राष्ट्रपति भी बनते हैं।
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उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 से 71 में उपराष्ट्रपति से संबंधित प्रावधान हैं। चुनाव की प्रक्रिया लगभग राष्ट्रपति चुनाव जैसी होती है, लेकिन इसमें कुछ अहम अंतर हैं।
👉 आइए इसे सरल शब्दों में समझें (स्रोत: Indian Polity – एम. लक्ष्मीकांत):
1. निर्वाचन मंडल (Electoral College)
उपराष्ट्रपति का चुनाव दोनों सदनों (लोकसभा + राज्यसभा) के सभी निर्वाचित और नामित सांसद मिलकर करते हैं।
अंतर: राष्ट्रपति चुनाव में केवल निर्वाचित सांसद और विधायक वोट करते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में नॉमिनेटेड सांसद भी वोट करते हैं।
2. चुनाव की विधि
चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation) और एकल हस्तांतरणीय मत (Single Transferable Vote – STV) प्रणाली से होता है।
वोटिंग हमेशा गुप्त मतदान (Secret Ballot) से कराई जाती है।
3. योग्यताएं (Eligibility)
उपराष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार को –
भारत का नागरिक होना चाहिए।
कम से कम 35 साल की आयु होनी चाहिए।
राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए।
लाभ का कोई पद (Office of Profit) नहीं होना चाहिए।
4. कार्यकाल
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है।
वे इस्तीफा देकर या राष्ट्रपति द्वारा हटाए जाने पर पद छोड़ सकते हैं।
5. हटाने की प्रक्रिया (Removal)
उपराष्ट्रपति को केवल राज्यसभा साधारण बहुमत से प्रस्ताव पास करके हटा सकती है।
इस प्रस्ताव को लोकसभा की सहमति भी जरूरी है।
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कौन हैं सीपी राधाकृष्णन?
सीपी राधाकृष्णन दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु से आने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता हैं। वे लंबे समय से संगठन से जुड़े हुए हैं और पार्टी को दक्षिण भारत में मजबूत बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। राधाकृष्णन दो बार तमिलनाडु के कोयंबटूर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। सांसद रहते हुए उन्होंने कई अहम संसदीय समितियों में काम किया और अपनी साफ-सुथरी छवि के कारण पहचान बनाई।
उनकी राजनीतिक यात्रा संगठनात्मक कामकाज से शुरू हुई थी, जहां वे ग्राउंड लेवल पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ लगातार जुड़े रहे। भाजपा ने उन्हें कई बार महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दीं और उन्होंने हर बार उम्मीदों पर खरा उतरते हुए पार्टी की नीतियों और विचारधारा को जनता तक पहुँचाया।
राधाकृष्णन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं। पार्टी नेतृत्व को उनसे उम्मीद है कि वे दक्षिण भारत में भाजपा के लिए और मजबूत पकड़ बनाने में मदद करेंगे। उपराष्ट्रपति बनने के बाद अब वे राज्यसभा के सभापति के तौर पर सदन की कार्यवाही भी संभालेंगे। उनकी सरल छवि, राजनीतिक अनुभव और संगठनात्मक पकड़ उन्हें इस अहम constitutional पद के लिए एक उपयुक्त विकल्प बनाती है।
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